ओमपुरी को नही मिली छुट्टी तब बॉस से की लड़ाई, कहा अपनी नौकरी रख मेरा हिसाब कर
दोस्तों ओमपूरी का बॉलीवुड करियर काफी ज्यादा शानदार रहा है. वे बॉलीवुड के सुपरस्टार कहलाते थे लेकिन आज हम लोगो के बीच नही रहे है इसके बावजूद आज भी उनकी फिल्मे लोग देखकर उन्हें याद करते है. उन्होंने बॉलीवुड में आने के लिए काफी स्ट्रगल किया है. उन्हें थियेटर से लेकर बॉलीवुड का सफर तय करने में काफी समय लगा था लेकिन उन्हें थियेटर से बहुत लगाव रहा था. इसी से जुडी एक कहानी आज हम आपको बताने वाले है जब ओमपुरी को चंडीगढ़ थियेटर में नाटक के लिए आना था लेकिन उन्हें बॉस ने छुट्टी देने से मना कर दिया था.
वकील के यहाँ काम करते थे ओमपुरी
ओमपुरी ने अपने करियर की शुरुआत चंडीगढ़ से की थी जहाँ वे एक वकील के यहाँ मुंशी का काम करते थे. उसी दौरान उन्हें चंडीगढ़ में एक नाटक में परफोर्म करना था जिसके लिए उन्हें 3 दिन की छुट्टी चाहिए थी . उन्होंने अपनी छुट्टी की बात जब वकील से की तो उसने छुट्टी देने से साफ मना कर दिया था. ओमपुरी के लिए नौकरी से कहीं बढकर थियेटर में काम करना पसंद था.
वे वकील की बात से नाराज हो गये और उन्होंने उसे गुस्से में बोल दिया ” अपनी नौकरी अपने पास रख और मेरा हिसाब कर दें “. इसके बाद उनकी नौकरी चली गयी तब उन्होंने अपने दोस्तों से इस बात का जिक्र किया. उनके कुछ कॉलेज के दोस्तों ने प्रिंसिपल से उन्हें काम देने की बात की थी.
एक नाटक ने बदल दी पूरी जिन्दगी
प्रिंसिपल ने प्रोफेसर से ओमपुरी के लिए काम के बारे में पूछा था. तब प्रोफेसर बोला कि कॉलेज में एक लैब असिस्टेंट की जगह खाली है लेकिन क्या ओमपुरी साइंस के बारे में कुछ जानते है ? पता चला मांगे कुछ और कुछ और ही पकड़ा दें. लेकिन ये काम ओमपुरी को मिल गया था और इसी तरह वे जॉब भी करते रहे और साथ में उन्होंने अपना थियेटर भी जारी रखा था.
इसी बीच पटियाला में हुए एक नाटक में ओमपुरी ने आदमी का दिल जीत लिया. ये आदमी और कोई नही बल्कि उसी नाटक में जज बने थे जिनका नाम हरपाल डिवाना था जिन्होंने ओमपुरी को अपने साथ नाटक में काम करने की नौकरी दी थी. इस तरह ओमपुरी थियेटर से जुड़ गये और बाद में उनकी किस्मत उन्हें मुम्बई तक ले आई जहाँ वे बॉलीवुड में एंटर हो गये और यहाँ से उन्होंने पीछे मुडकर नही देखा.